अधिकांश लोगों के द्वारा बैंक से कर्ज लिया जाता है। अलग-अलग कामों के लिए लोग कर्ज लेते है। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति खराब हो जाती है। जो कर्ज को कर्जदाता को समय पर वापस नहीं कर पाते हैं। इसलिए कर्जदार के मन में कई चिंताएं होती हैं। की बैंक होम लोन न चुकाने पर क्या होता है, ऋण का भुगतान न करने पर कौन सी नोटिस भेजी जाती है। इसके अलावा लोगों के मन में कई प्रश्न होते हैं।
बैंक या एनबीएफसी संस्थानों से कई तरह के लोन मुहैया करवाए जाते हैं। जैसे गाड़ी के लिए लोन. पढ़ाई के लिए लोन. घर बनवाने के लिए लोन. बिजनेस शुरू करने के लिए लोन. घर खरीदने के लिए लोन. ऐसे कई अन्य कामों के लिए बैंक से लोगो के द्वारा लोन लिया जाता है।
कई लोग लोन लेने के बाद लोन समय पर नहीं भर पाते है। इस अवस्था में बैंक डिफाल्टर घोषित कर देता है. डिफाल्टर घोषित करने के बाद बैंक कई तरह से लोन राशि वसूलने का प्रयास करता है। लेकिन बैंक कभी किसी को परेशान नहीं कर सकता है। जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता है। मारपीट नहीं कर सकता है।
बैंक से लोन दो प्रकार के लिए जाते हैं। एक सिक्योर्ड लोन, दूसरा अनसिक्योर्ड लोन, सिक्योर्ड लोन में बैंक के द्वारा उधारकर्ता से गिरवी के रूप में संपत्ति रखवाया जाता है। लेकिन अनसिक्योर्ड लोन में उधार करता के द्वारा किसी प्रकार की कोई संपत्ति गिरवी के रूप में बैंक में नहीं रखी जाती है।
होम लोन न चुकाने पर क्या होता है?
बैंक से लिए गए होम लोन या पर्सनल लोन की ईएमआई न चुका पाने पर बैंक डिफाल्टर घोषित कर देता हैं। और बैंक में रखी गिरवी के रूप में संपत्ति को नीलम करके रिकवरी करता है। लेकिन उससे पहले उधारकर्ता को नोटिस देता है। बिना नोटिस के गिरवी के रूप में रखी संपत्ति को नीलाम नहीं कर सकता है।
अनसिक्योर्ड लोन में किसी प्रकार की कोई संपत्ति गिरवी के रूप में नहीं रखी जाती है। फिर उधारकर्ता के द्वारा ऋण राशि की वापसी समय पर ना कि जाने पर बैंक ऋण रकम को रिकवर करने का प्रयास करता है। वह भी अपने हद में रहकर बैंक किसी के साथ जोर जबरदस्ती और मारपीट नहीं कर सकता है।
बैंक से दो तरह से लोन लिया जाता है। सिक्योर्ड लोन और अनसिक्योर्ड लोन लेकिन अधिकांश लोगो को बैंक सिक्योर्ड लोन देता है। सिक्योर्ड लोन में उधारकर्ता को अपनी संपत्ति बैंक में जमा करनी होती है। जो ऋण राशि चुकाने के बाद वह संपत्ति बैंक वापस कर देता है। यदि किसी कारणवश उधारकर्ता एमआई समय पर नहीं भर पाता और वह डिफाल्टर घोषित हो जाता है। इस अवस्था में बैंक संपत्ति से लोन रकम को रिकवर करती है।
लोन न चुका पाने पर बैंक किसी को धमका नहीं सकता है। ना ही जोर जबरदस्ती जा सकता है। लेकिन थर्ड पार्टी एजेंट का सहारा लेकर बैंक लोन की रिकवरी करने का प्रयास कर सकता है। वह भी अपने हद में रह कर ना की किसी से जोर जबरदस्ती करके यह धमका के लोन रिकवरी किया जा सकता है।
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सिक्योर्ड लोन न चुकाने पर क्या होता है?
सिक्योर्ड लोन एक तरह से सुरक्षित होता है। उधारकर्ता की संपत्ति गिरवी के रूप में रखी रहती है। जैसे कर्जदार ऋण रकम को बैंक को वापस कर देता है। तो उसकी संपत्ति बैंक के द्वारा वापस कर दी जाती है। लेकिन किसी कारणवश कर्जदार के द्वारा समय पर बैंक को लोन न चुका पाने पर यह संपत्ति बैंक के द्वारा नीलाम कर दी जाती है।
संपत्ति को नीलाम करने से पहले उधारकर्ता को नोटिस दी जाती है। उसके अलावा नीलामी से पहले संपत्ति का नीलामी का सार्वजनिक घोषणा किया जाता है। और लोगों में बताया जाता है कि यह संपत्ति नीलाम होने वाली है। बैंक में रखें कर्जदार की संपत्ति को बैंक ऐसे वैसे मूल्य पर नहीं नीलाम कर सकता है। सही दाम पर ही उसे नीलाम करना होगा।
नीलामी के लिए उसे सार्वजनिक घोषणा करना होगा। जो कि एक महीना पहले किया जाता है। संपत्ति नीलाम होने के बाद बैंक अपने लोन रकम को रिकवर कर लेगा। बचे हुए पैसे को कर्जदार को वापस कर देगा यह पैसा उधारकर्ता के अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाएगा। इस तरह से सिक्योर्ड लोन की रिकवरी की जाती है।
अनसिक्योर्ड लोन न चुकाने पर क्या होता है?
अनसिक्योर्ड लोन में किसी प्रकार की कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखी जाती है। इस लोन में रिस्क होता है। यह लोन कर्जदार के द्वारा न चुकाने पर बैंक पैसों की रिकवरी के लिए कई रास्ते अपनाता है। जिसके जरिए से बैंक रिकवरी करने का प्रयास करता है।
फिर भी बैंक कोई जोर-जबरदस्ती और मारपीट गाली-गलौज नहीं कर सकता है। इसके लिए बैंक को और एजेंट को अपनी हद में रह कर रिकवरी करने का अधिकार होता है। लेकिन रिकवरी ना होने पर बैंक कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है। यह बैंक को अधिकार होता है।
लेकिन कर्जदार के द्वारा बताया गया परेशानी सही है। तो बैंक कानूनी कार्रवाई नहीं करता है और दूसरे तरीके अपनाकर थर्ड पार्टी एजेंटों का सहारा लेकर बैंक लोन की रिकवरी करने का प्रयास करता है।
ऐसा होने पर कर्जदार का सिविल स्कोर खराब हो जाता है जिससे उसे आगे लोन लेने में तमाम तरह की कठिनाइयां आती हैं। इसलिए प्रयास करें लिए गए लोन को सही समय पर किस्तों में वापस कर दें। ताकि आपको आगे भी लोन लेने में आसानी हो।
बैंक का लोन न चुकाने पर क्या होता है?
बैंक का लोन ना चुकाने पर कई तरह की कठिनाइयां लोगों को आती हैं। लेकिन यह निर्भर करता है। और कर्जदार के द्वारा लिए गए लोन पर और बैंक के संबंध पर अगर उधारकर्ता सही समय पर बैंक से लिए गए पैसे को वापस कर देता है। तो कोई प्रॉब्लम उसे नहीं होगी। अगर बैंक को समय पर पैसा नहीं मिलता है। तो वह रिकवरी करने के कई रास्ते अपना सकते हैं।
सिक्योर्ड लोन बैंक आसानी से रिकवर कर लेता है। जिसमे संपत्ति को नीलाम कर के बैंक लोन रकम को लेकर बचे हुए पैसे को उधारकरता को वापस कर देता है। लेकिन अनसिक्योर्ड लोन में ऐसा नहीं होता है। बैंक कई तरीके को अपनाता है। उधारकर्ता से पैसे निकालने के लिए। जो लोगों को मुसीबत में भी डाल सकता है।
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