डिफॉल्टर क्या है | डिफ़ॉल्ट मीनिंग इन हिंदी।

अकसर लोग अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए कई नयी चीजों को खरींदे या बनवाने के लिए बैंक से या ऋण देनी संस्था से लोन लेते है अगर आपने लोन लिया होगा या इससे सम्बंधित जानकारी रखते होंगे तो आपने डिफ़ॉल्टर नाम ज़रूर सुना होगा लेकिन डिफॉल्टर क्या है. डिफ़ॉल्ट मीनिंग इन हिंदी। loan defaulter meaning in hindi. का मतलब होता है इसी की चर्चा हम इस लेख में करेंगे।

आज के समय में अधिकतर कामो के लिए लोन की सुविधा मिल जाती है चाहे प्रॉपर्टी लेना हो, फ्लैट प्लाट मकान लेना हो, व्हीकल लेना हो, बिज़नेस को बढ़ाना हो, कृषि लोन लेना हो, इसके अलावा भी बहुत सारे प्रोडक्ट को लोन पर लिया जाता है जैसे रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, ए सी, मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर, और बहुत सारी चीजे लोन पर मिल जाती है।

लेकिन किसी भी चीज को लोन पर लेने या फिर कोई लोन रकम लेते है तो उसे समय पर बैंक को वापस भी करना होता है जो लोन लेते समय तय हो जाती है कि कितने रूपये का EMI प्रतिमाह देना है कितने प्रतिशत ब्याज दर लगेगा रीपेमेंट के रूल है और कई चीजों को लोन लेने से पहले तय की जाती है जिससे उधारकर्ता के द्वारा बैंक से लिए ऋण को सही समय लौटा दिया जाये और फिर बैंक टेंशन फ्री हो जाता है हर महीने उधारकर्ता अपनी EMI भरता रहता है।

कई बार उधारकर्ता के सामने कई ऐसी प्रॉब्लम आ जाती है जिससे वह लोन रकम चूका पाने में असमर्थ हो जाता है और जो हर महीने की EMI बैंक से तय की गयी थी उसे भरने में उधारकर्ता किसी कारणवश असमर्थ हो जाता है जिसके वजह से बैंक उधारकर्ता को डिफाल्टर बता देता है।

डिफॉल्टर क्या है – Defaulter kya hai?

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अधिकतर व्यक्ति या कम्पनिया बैंक से बड़े अमाउंट का लोन लेती है लेकिन कई बार स्थिति ख़राब होने से या कई लोग जानबूझकर बैंक का रीपेमेंट नहीं करते है उधारकर्ताओ को बैंक एक निश्चित समय देती है लोन चुकाने के लिए. उसी समय के अंतराल उधारकर्ता को बैंक का रीपेमेंट करना होता है जब उधारकर्ता बैंक के द्वारा दिए गए समय को पार कर देते है उस समय के अंतराल बैंक का रीपेमेंट नहीं करते है तो उन्हें बैंक डिफाल्टर घोषित कर देता है।

आप डिफॉल्टर को इस तरह से समझे किसी व्यक्ति या कंपनी के द्वारा किसी भी संस्था से लिए गए लोन रकम की भरपाई करने का पैसा नहीं होता है या होने के बावजूद भी उस रकम को नहीं भरते है तो बैंक उन व्यक्ति और कंपनी को पब्लिक्ली डिफाल्टर घोषित कर देती है और इन उधारकर्ताओं के द्वारा बैंक में रखी गयी गिरवी रूप में सम्पति बिकने के कगार पर आ जाती है।

बैंक के द्वारा उधारकर्ता को डिफाल्टर घोषित कर देने के बाद बैंक कई कदम उठा सकता है इनसे पैसे वसूलने के लिए। ये मामला बैंक और उधारकर्ता के बीच किस हद तक बढ़ सकता है ये इन दोनों के बीच किस तरह का व्यवहार है इस पर निर्भर करता है क्योकि बैंक के पास कई विकल्प होते है डिफाल्टर से पैसे वसुलने के लिये।

बैंक डिफॉल्टर पर कानूनी कार्यवाही भी कर सकता है उसके लिए उधारकर्ता को कोर्ट के चक्कर भी लगाने पड़ सकते है लेकिन हाँ उधारकर्ता को भी सरकार के द्वारा कई अधिकार दिए गए है जिसका उधारकर्ता का भी फायदा उठा सकता है अगर उधारकर्ता लोन रकम चूका पाने में असमर्थ है उसे अपने अधिकार जानना बहुत ज़रूरी है इन अधिकारों को जानने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करके आर्टिकल पढ़े।

loan defaulter meaning in hindi.

Defaulter का मतलब दोषी या दिवालिया होता है लोन डिफाल्टर यानि जो व्यक्ति लोन लेकर चूका न पाए रीपेमेंट करने में असमर्थ हो लोन डिफ़ॉल्ट कई उधारकर्ता मजबूरी में बन जाते है कई जानबूझकर बनते है वैसे बैंक डिफाल्टर को लोन चुकाने के लिए कुछ समय देता है लेकिन कई डिफाल्टर के द्वारा उस समय सीमा को भी पार कर दिया जाता है फिर बैंक कार्यवाई करता है।

डिफाल्टर बैंक के नोटिस देने के 60 दिनों बाद भी भुगतान नहीं कर पाता है और उसका कोई जवाब भी नहीं देता है तो बैंक आवेदक के द्वारा रखी गयी गिरवी में सम्पति को बैंक नीलाम करके अपना भरपाई कर सकता है सम्पति की निलामी के लिए पब्लिक्ली घोषड़ा कर दी जाती है।

इस सम्पति को नीलाम करने का बैंक के पास अधिकार होता है जो उधारकर्ता के डिफाल्टर होने के बाद उसके द्वारा कोई जवाब न देने पर न भुगतान करने पर बैंक में रखी गिरवी में सम्पति को नीलाम कर सकता है डिफाल्टर को लगता है की उसके सम्पति को कम पैसे आकि गयी है या नीलाम की गयी है तो इसके खिलाफ वो कार्यवाई कर सकता है।

यदि सही रेट में गिरवी सम्पति को नीलाम कर दी जाती है और आपके बकाया ऋण से अधिक की सम्पति की नीलामी होती है तो बैंक अपने ऋण रकम को काटकर बचे रकम को उधारकर्ता के खाते में क्रेडिट कर देता है बैंक नीलामी सम्पति का उतना ही रकम ले सकता है जितना उसके बैंक की बकाया रकम है बाकि सारा पैसा उधारकर्ता के खाते में भेज दी जाती है।

लोन न चुकाने पर क्या होगा?

किसी भी प्रकार का बैंक से लिए लोन को चुकाना ज़रूरी होता है यदि आप किसी कारणवश लोन नहीं चूका पाते है तो उधारकर्ता के क्रेडिट की जानकारी सिबिल को भेज दी जाती है ये सूचनाएं क्रेडिट रेटिंग एजेंसी को दी जाती है जिसके अनुसार उधारकर्ता के सिबिल स्कोर को मेन्टेन किया जाता है अगर किसी का सिबिल स्कोर ख़राब हो जाता है तो उसे आगे लोन लेने में परेशानी आती है फिर बैंक से लोन नहीं मिलता है इस लिए अपने लोन रकम का सही समय पर पेमेंट करे ताकि आने वाले समय में आपके ज़रूरत पर लोन मिल जाये।

आशा है इस लेख में बताई गयी जानकारी डिफॉल्टर क्या है. डिफ़ॉल्ट मीनिंग इन हिंदी क्या होता है इसकी जानकारी मैंने इस लेख में देने का प्रयास किया है डिफाल्टर किसी को बनना नहीं पड़ता है बल्कि बैंक के द्वारा बना दिया जाता है फिर डिफाल्टर को आगे लोन लेने में परेशानी आती है आसानी से लोन मिल नहीं पाता है ऐसी ही जानकारी लोन कैसे ले सकते है और कितना ले सकते है इससे सम्बंधित जानकारी मैं ब्लॉग के माध्यम से अपने पाठक को देता हूँ।

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